वनीकरण - एक जैव विविधता यंत्र

जैव विविधता के नुकसान के लिए प्रकृति आधारित समाधान, ग्रामीण विकास का समर्थन

मानव-प्रेरित पारिस्थितिकी तंत्र की क्षति एवं पतन ने एक जटिल जैव विविधता संबंधित संकट उत्पन्न कर दिया है जिसके कारण नई विज्ञान पर आधारित पारिस्थितिक बहाली की रणनीतियों की आवश्यकता पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। इस नवीन विधि के उपयोग ने इस विषय के अंतर्विषयी दर्शकों और विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित किया है। ‘पोषण पुनर्वनीकरण’ की विधि में विलुप्त प्रजातियों का पुनर्परिचय एवं पुनर्वास शामिल है, जो पोषण  सम्बद्ध परस्पर क्रिया को पुनर्स्थापित कर सकते  हैं। इसी प्रकार सम्बन्धित

‘पोषण झरने’ जैव-विविध पारिस्थितिकी के स्व-विनियमन की  प्रणालियों को बढ़ावा दे सकते हैं। यह क्रियाएँ

विशेष रूप से विशाल शाकाहारी एवं माँसाहारी प्रजातियों की वैश्विक गिरावट के कारण अब लुप्त हो गयी हैं।

हमारे ग्रह पर पारिस्थितिकी तंत्र की प्रक्रिया को बहाल करने के लिए पोषण वनीकरण की पहल की जा रही है। इस पहल के अन्तर्गत, अर्जेंटीना में ‘इबेरा रीवाइल्डिंग प्रोग्राम’ के द्वारा प्रदर्शित सक्रिय संरक्षण नमूना, ऑस्ट्रेलिया में शीर्ष शिकारियों के रूप में तस्मानियन डेविल्स के पुनर्स्थापन के माध्यम से आक्रामक प्रजातियों का प्रबंधन, और यूरोपीय पारिस्थितिकी तंत्र में बाइसन एवं जंगली घोड़ों का प्रधान प्रजातियों के रूप में पुनर्वास उल्लेखनीय हैं।

यूरोप की आर्द्र-भूमि में यूरेशियन ऊदबिलाव की संख्या के विस्तार ने हमें यह जाँचने में सक्षम किया

है कि जैव विविधता में सुधार के लिए ऊदबिलाव के जन्म-जात प्रस्थापन के लक्षणों का उपयोग कैसे किया जाये। कई और परियोजनायें वन्यजीव प्रजातियों के पुनर्परिचय एवं पुनर्स्थापन पर ध्यान केंद्रित

कर रही हैं और विशेष रूप से बड़े जीवधारियों पर काम कर रही हैं।

विशाल पशुवर्ग अपने आकार के परिणामस्वरूप संसाधनों का बहुत गहन उपयोग करते हैं। इसके कारण छोटे जानवरों की तुलना में वे अधिक बड़े स्तर पर हमारे पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करने और उसे बदलने की क्षमता रखते हैं। पारिस्थितिक तंत्र पर विशाल पशुवर्ग के प्रभावों को पाँच व्यापक श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है, हालांकि ये सभी आपस में जुड़े हुए हैं और एक दूसरे को प्रभावित करते हैं।

1.   पारिस्थितिकी तंत्र की भौतिक संरचना

सबसे प्रथम प्रभाव सर्वाधिक प्रत्यक्ष है: विशाल पशुवर्ग जड़ी-बूटी वनस्पति विकास को प्रभावित करने के माध्यम से आवासीय संरचना को ढालते हैं। परिदृश्य की भौतिक संरचना विशाल शाकाहारी पशुवर्ग एवं अन्य बड़े शाकाहारी पशुओं द्वारा खपत/सेवन और रौंदने के कारण बदल जाती है।

विशाल शाकाहारी पशुवर्ग अपनी गतिविधियों जैसे लकड़ – वनस्पतियों को दबाना और रौंदना, और घास और जंगलों के लिए आवासीय विकास को सम्भव करने से सवाना जैसा परिदृश्य बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं।शाकाहारी पशुओं की गतिविधियाँ जो भिन्न भिन्न क्षेत्रों में जल के स्रोतों, तीव्र ढलानों, प्रवास मार्गों, शिकार के जोखिम आदि पर निर्भर होती हैं, विभिन्न क्षेत्रों में वनस्पति पर अलग-अलग दबाव से परिदृश्य संरचना को प्रभावित करती हैं। इससे पेड़, घास और झाड़ियों के विभेदित क्षेत्र बनते हैं, जो गतिशील होते हैं और चक्रीय उत्तरवर्तन के माध्यम से भिन्न हो सकते हैं।

2. पारिस्थितिकी तंत्र की पोषण संरचना

विशाल पशुवर्ग अपने बड़े शरीर के द्रव्यमान एवं अधिक संसाधनों के उपयोग के कारण, पशु समुदाय की बहुतायत और संरचना को विनियमित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। विशाल शाकाहारी जीव भोजन के लिए छोटे शाकाहारी जीवों के प्रमुख प्रतियोगी हैं, और विशाल माँसाहारी छोटे पशुओं और युवा विशाल शाकाहारी जीवों पर शिकार के माध्यम से एक महत्वपूर्ण जनसंख्या नियंत्रण का कार्य करते हैं। इसके साथ ही वे पारिस्थैतिक भय के माध्यम से शिकार के व्यवहार को भी प्रभावित करते हैं।

विशाल पशुवर्ग की हानि के परिणामस्वरूप परिस्थितिकी तंत्र सरल हो सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप उनकी पारस्परिक अन्तर्प्रजातीय क्रियाएँ कम हो सकती हैं और खाद्य श्रृंखलायें छोटी हो सकती हैं। इनके परिणामस्वरूप पशु समुदाय और पारिस्थितिक तंत्र जलवायु परिवर्तन जैसे बाहरी दबावों अथवा आपदाओं को सहन करने में सक्षम नहीं रहते और अधिक कमजोर हो जाते हैं ।

3. वनस्पति समुदाय की संरचना और विविधता

वनस्पति वर्ग पर विशाल पशुवर्ग के अत्यधिक दबाव के परिणामस्वरूप कई पौधों की प्रजातियों ने चराई-सहिष्णु एवं सेवन-प्रतिरोधक बनने के लिए अनुकूलन विकसित कर लिये हैं जैसे कि कांटे, रासायनिक निवारक या मोटी छाल। इस तरह, विशाल पशुवर्ग यह निर्धारित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है कि किन पौधौं की प्रजातियों के एक पारिस्थितिकी तंत्र में पनपने की और वनस्पति समुदाय की संरचना को बदलने की अधिक संभावना है।

इसके अतिरिक्त, विशाल पशुवर्ग भूमि के पथ पर भ्रमण करते समय लंबी दूरी तक बीज- प्रसार सम्भव करते

हैं। यह क्रिया तब एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जब पौधों की प्रजातियों को बदलती जलवायु या अन्य स्थितियों के अनुकूल होने के लिए अपनी सीमा को संशोधित करने की आवश्यकता होती है।

4. पारिस्थितिकी तंत्र का जैव-भू-रसायन  विज्ञान

विशाल पशुवर्ग विघटित अथवा रौंदे गये और गले हुये वनस्पति पदार्थ में छिपे पोषक तत्वों को मुक्त करके पारिस्थितिक तंत्र की जैव-भू-रासायनिक  चक्रों का त्वरण अथवा वृद्धि करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यह विशेष रूप से अनुपजाऊ मृदा और शुष्क या ठंडी जलवायु में महत्वपूर्ण है, जैसे कि ‘उत्तरी  यूरेशिया के मैमथ स्टेप्स’, जहां मैमथ ( प्राचीन हाथी) एवं अन्य विशाल पशुवर्ग के विलुप्त होने के बाद पोषक तत्व धीरे-धीरे विघटित होने वाले पौधौं में बंद हो गए और वहाँ का परिदृश्य एक बंजर टुंड्रा बन गया।

5. क्षेत्रीय एवं वैश्विक जलवायु

हम जानते हैं कि पशु जलवायु से प्रभावित होते हैं, परंतु क्या जलवायु भी जानवरों से प्रभावित होती है?

बड़े शाकाहारी जीव ऐसी प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकते हैं जो जलवायु परिवर्तन को तीव्र या कम कर सकती हैं। बड़े शाकाहारी जीवों की मंडली के वनस्पति विकास, बीज-प्रसार, जंगली आग की गतिशीलता और नाइट्रोजन एवं फास्फोरस चक्रों को प्रभावित करने की प्रक्रिया पर शोध चल रहा है।

विशाल पशुवर्ग अपने भोजन के उपभोग एवं पाचन के माध्यम से जैव-भू-रासायनिक चक्रीय क्रिया पर अपना प्रभाव डाल सकते जैसे कि मीथेन जैसे ग्रीनहाउस गैसों की रिहाई। चूँकि मीथेन गैस का उत्सर्जन शरीर के आकार से बंधा होता है, अनुमान लगाया जाता है की प्लिस्टोसीन युग में विशाल पशुवर्ग की संख्या कम होने का वैश्विक शीतलन प्रभाव 0.08-0.2C था।

पुनर्वनीकरण – कार्यवाही का आह्वान

हाल ही में पोषण सम्बंधित पुनर्वनीकरण पर उपलब्ध शोध के नवीनतम संश्लेषण ने विश्व स्तर पर विलुप्त होने वाले जीवों पर, पारिस्थितिक बहाली एवं जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को कम करने की अपनी क्षमता एवं प्रयासों का प्रदर्शन किया है।अत:  पोषण सम्बंधित पुनर्वनीकरण की संकल्पना को  पहचान दिलाने के लिये, और मान्यता प्राप्त होने की संभावना को बढ़ाने के लिये, (यानी पारिस्थितिक बहाली और जलवायु परिवर्तन को कार्यसूची में केंद्रीय बनाने के लिये ), सभी सम्बंधित अधिकारियों, प्रायोजकों, पर्यावरणविदों, सरकारों, शोधकर्ताओं एवं संगठनों को पारिस्थितिक बहाली से संबंधित सर्व-सम्मत संदर्भों, पद्धतियों, एवं कार्यप्रणालियों को अपनाना चाहिए।

अंग्रेज़ी अनुवाद/स्पष्टीकरण

१. पुनर्वनीकरण:  Rewilding
२. जैव-विविधता:  Biodiversity
३. परिस्थितिकि तंत्र:  Ecosystem
४. पोषण-सम्बंधित झरने:  Trophic Cascades
५. स्वविनियमन:  Self-Regulation

Translation: Tanuja Srivastava